जागतिक आदिवासी दिवस (International Day of the World’s Indigenous Peoples), जिसे विश्व आदिवासी दिवस या आदिवासी दिवस (Adivasi Divas) के रूप में भी जाना जाता है, हर साल 9 अगस्त को मनाया जाता है। यह दिन विश्व भर के आदिवासी समुदायों (Indigenous Communities) की सांस्कृतिक विरासत (Cultural Heritage), परंपराओं (Traditions), और अधिकारों (Rights) को सम्मान देने और उनके संरक्षण के लिए जागरूकता बढ़ाने के लिए समर्पित है। इस लेख में हम चर्चा करेंगे कि क्या आदिवासी दिवस 2025 भारत में अवकाश (Holiday) है और इसका वारली समाज (Warli Community) जैसे समुदायों के लिए क्या महत्व है।
9 अगस्त को क्यों मनाया जाता है?
आदिवासी दिवस 9 अगस्त को इसलिए मनाया जाता है क्योंकि 1982 में इस दिन संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के तहत आदिवासी आबादी पर कार्य समूह (Working Group on Indigenous Populations) की पहली बैठक जिनेवा में आयोजित हुई थी। यह बैठक आदिवासी समुदायों के अधिकारों (Indigenous Rights), उनकी संस्कृति (Culture), और सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों (Socio-Economic Challenges) पर वैश्विक चर्चा शुरू करने का महत्वपूर्ण कदम थी।
संयुक्त राष्ट्र महासभा (UN General Assembly) ने 23 दिसंबर 1994 को प्रस्ताव 49/214 के तहत 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के रूप में घोषित किया। इसका उद्देश्य आदिवासी समुदायों की सांस्कृतिक विविधता (Cultural Diversity), पर्यावरण संरक्षण (Environmental Conservation) में उनके योगदान, और उनके सामने आने वाली चुनौतियों जैसे भूमि अधिग्रहण (Land Acquisition) और सामाजिक समावेशन (Social Inclusion) पर जागरूकता बढ़ाना है।
क्या आदिवासी दिवस 2025 भारत में अवकाश है?
आदिवासी दिवस 2025 (Adivasi Divas 2025) भारत में राष्ट्रीय अवकाश (National Holiday) नहीं है, लेकिन यह कुछ राज्यों में क्षेत्रीय सार्वजनिक अवकाश (Regional Public Holiday) के रूप में मनाया जाता है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां आदिवासी आबादी अधिक है। निम्नलिखित राज्यों में 9 अगस्त को अवकाश घोषित होने की संभावना है:
- राजस्थान: राजस्थान सरकार ने पहले विश्व आदिवासी दिवस को क्षेत्रीय अवकाश के रूप में घोषित किया है। उदाहरण के लिए, 2024 में बांसवाड़ा जिले के मानगढ़ धाम में राज्य-स्तरीय समारोह आयोजित किया गया था। हालांकि, जयपुर जैसे कुछ क्षेत्रों में सरकारी कार्यालय खुले रह सकते हैं।
- मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश, जहां आदिवासी आबादी राज्य की जनसंख्या का लगभग 20% है, में 9 अगस्त को आदिवासी दिवस के रूप में क्षेत्रीय अवकाश मनाया जाता है।
- झारखंड: झारखंड, जहां आदिवासी समुदाय (जैसे संथाल, मुंडा, ओरांव) आबादी का 26.2% हिस्सा हैं, में भी यह दिन क्षेत्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाता है।
- छत्तीसगढ़ और ओडिशा: इन राज्यों में भी आदिवासी आबादी की अधिकता के कारण कुछ क्षेत्रों में अवकाश घोषित हो सकता है।
नोट: अवकाश की स्थिति राज्य सरकारों के निर्णय पर निर्भर करती है। कुछ राज्यों में स्कूल, कॉलेज, और सरकारी कार्यालय बंद रह सकते हैं, जबकि अन्य राज्यों में यह सामान्य कार्यदिवस हो सकता है। 2025 के लिए अवकाश की पुष्टि के लिए संबंधित राज्य सरकार के कैलेंडर या आधिकारिक अधिसूचना की जांच करनी होगी।
वारली समाज और आदिवासी दिवस
वारली समाज (Warli Community), जो मुख्य रूप से महाराष्ट्र, गुजरात, और दादरा नगर हवेली में निवास करता है, अपनी अनूठी वारली कला (Warli Art) और प्रकृति के साथ गहरे जुड़ाव (Connection with Nature) के लिए विश्वविख्यात है। यह कला चावल के पेस्ट और प्राकृतिक रंगों से बनाई जाती है, जो प्रकृति (Nature), जीवन चक्र (Life Cycle), और सामाजिक रीति-रिवाजों (Social Traditions) को दर्शाती है।
वारली समाज की गतिविधियां
आदिवासी दिवस के अवसर पर वारली समुदाय निम्नलिखित गतिविधियों में भाग लेता है:
- सांस्कृतिक प्रदर्शनियां: वारली पेंटिंग्स (Warli Paintings), तारपा नृत्य (Tarpa Dance), और लोक गीत (Folk Songs) के माध्यम से अपनी परंपराओं को प्रदर्शित किया जाता है।
- जागरूकता अभियान: भूमि अधिकार (Land Rights), जंगल संरक्षण (Forest Conservation), और जल संरक्षण (Water Conservation) जैसे मुद्दों पर रैलियां और सेमिनार आयोजित किए जाते हैं।
- कला कार्यशालाएं: वारली कला (Warli Art Workshops) का आयोजन युवाओं को अपनी सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने के लिए किया जाता है।
आदिवासी दिवस 2025 का महत्व
आदिवासी दिवस 2025 का महत्व निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:
- सांस्कृतिक संरक्षण: यह दिन वारली समाज जैसे आदिवासी समुदायों को अपनी भाषा (Language), कला (Art), और परंपराओं (Traditions) को संरक्षित करने का अवसर देता है।
- अधिकारों की वकालत: आदिवासी समुदाय अक्सर भूमि अधिग्रहण (Land Acquisition) और वनों की कटाई (Deforestation) जैसी समस्याओं का सामना करते हैं। यह दिन उनके अधिकारों की रक्षा के लिए वैश्विक मंच प्रदान करता है।
- पर्यावरण संरक्षण: आदिवासी समुदाय प्रकृति पूजक (Nature Worshippers) हैं और पर्यावरण संरक्षण (Environmental Protection) में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। यह दिन उनके इस योगदान को मान्यता देता है।
- वैश्विक एकजुटता: यह दिन विश्व भर के आदिवासी समुदायों को एकजुट करता है और उनकी आवाज को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत करता है।
भारत में आदिवासी समुदाय
भारत में आदिवासी समुदाय (Tribal Communities) देश की जनसंख्या का लगभग 8.6% हिस्सा हैं, जो लगभग 10.4 करोड़ लोग हैं। मध्य प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, और ओडिशा जैसे राज्यों में इनकी बड़ी आबादी निवास करती है। संथाल, गोंड, भील, और वारली जैसे समुदाय अपनी विशिष्ट कला (Unique Art) और सांस्कृतिक योगदान (Cultural Contributions) के लिए जाने जाते हैं।
आदिवासी दिवस 2025 की थीम
2025 की थीम (Theme) अभी तक संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित नहीं की गई है। 2024 की थीम थी: “स्वैच्छिक अलगाव और प्रारंभिक संपर्क में आदिवासी लोगों के अधिकारों की रक्षा” (Protecting the Rights of Indigenous Peoples in Voluntary Isolation and Initial Contact). यह थीम आदिवासियों के आत्मनिर्णय (Self-Determination) पर केंद्रित थी। 2025 की थीम भी संभवतः आदिवासी अधिकारों (Indigenous Rights), पर्यावरण (Environment), या सांस्कृतिक संरक्षण (Cultural Preservation) से संबंधित होगी।
आदिवासी दिवस 2025 के लिए सुझाव
- डिजिटल प्रचार: वारली समाज अपनी कला (Warli Art) को डिजिटल मंचों (Digital Platforms) जैसे सोशल मीडिया (Social Media) पर प्रचारित कर सकता है।
- शिक्षा और जागरूकता: आदिवासी युवाओं को तकनीकी शिक्षा (Technical Education) और डिजिटल मार्केटिंग (Digital Marketing) के माध्यम से अपनी संस्कृति को विश्व स्तर पर ले जाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।
- सामुदायिक आयोजन: सांस्कृतिक मेले (Cultural Fairs), कला प्रदर्शनियां (Art Exhibitions), और पर्यावरण जागरूकता कार्यक्रम (Environmental Awareness Programs) आयोजित किए जा सकते हैं।
- नीतिगत समर्थन: सरकार से भूमि अधिकार (Land Rights) और सांस्कृतिक संरक्षण (Cultural Preservation) के लिए मजबूत नीतियों की मांग की जा सकती है।
निष्कर्ष
आदिवासी दिवस 2025 अवकाश (Adivasi Divas 2025 Holiday), जो 9 अगस्त को मनाया जाएगा, वारली समाज (Warli Community) और अन्य आदिवासी समुदायों के लिए अपनी सांस्कृतिक धरोहर (Cultural Heritage) को विश्व स्तर पर प्रदर्शित करने और अपने अधिकारों (Rights) के लिए आवाज उठाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह दिन कुछ राज्यों जैसे राजस्थान, मध्य प्रदेश, और झारखंड में क्षेत्रीय अवकाश (Regional Holiday) हो सकता है, लेकिन राष्ट्रीय अवकाश नहीं है। यह दिन हमें आदिवासियों के पर्यावरणीय और सांस्कृतिक योगदान को महत्व देने की प्रेरणा देता है।